है शौक यही, अरमान यही
हम कुछ करके दिखलाएँगे,
मरने वाली दुनिया में हम
अरमान
अमरों में नाम लिखाएँगे।
जो लोग गरीब भिखारी हैं
जिन पर न किसी की छाया है,
हम उनको गले लगाएँगे
हम उनको सुखी बनाएँगे।
जो लोग अँधेरे घर में हैं
अपनी ही नहीं नजर में हैं,
हम उनके कोने कोने में
उद्यम का दीप जलाएँगे।
जो लोग हारकर बैठे हैं
उम्मीद मारकर बैठे हैं,
हम उनके बुझे दिमागों में
फिर से उत्साह जगाएँगे।
रोको मत, आगे बढ़ने दो
आजादी के दीवाने हैं,
हम मातृभूमि की सेवा में
अपना सर्वस्व लगाएँगे।
हम उन वीरों के बच्चे हैं
जो धुन के पक्के-सच्चे थे,
हम उनका मान बढायेंगे
हम जग में नाम कमाएँगे।
– रामनरेश त्रिपाठी