उठो लाल अब आँखे खोलो

उठो लाल अब आँखे खोलो

उठो लाल अब आँखें खोलो,
पानी लायी हूँ मुंह धो लो।
बीती रात कमल दल फूले,
उसके ऊपर भँवरे झूले।
चिड़िया चहक उठी पेड़ों पे,
बहने लगी हवा अति सुंदर।
नभ में प्यारी लाली छाई,
धरती ने प्यारी छवि पाई।

भोर हुई सूरज उग आया,
जल में पड़ी सुनहरी छाया।
नन्ही नन्ही किरणें आई,
फूल खिले कलियाँ मुस्काई।
इतना सुंदर समय मत खोओ,
मेरे प्यारे अब मत सोओ।

— सोहनलाल द्विवेदी

READ  बहुत बड़ा है संसार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.