9 ways to make Mehndi dark and beautiful Every bride is incomplete without the beautiful Mehndi design. As long as there is no henna in the hands and feet of the bride, her beauty is not seen. However, Mehndi is considered to be an important ritual in all kinds of functions. It is believed that…
आँधियों ने गोद में हमको खिलाया है
आँधियों ने गोद में हमको खिलाया है आँधियों ने गोद में हमको खिलाया है न भूलो, कंटकों ने सिर हमें सादर झुकाया है न भूलो, भारत माता भारत माता सिन्धु का मथकर कलेजा हम सुधा भी शोध लाए, औ’ हमारे तेज से सूरज लजाया है न भूलो ! वे हमीं तो हैं कि इक हुंकार…
बहुत बड़ा है संसार
बहुत बड़ा है संसार सबसे पहले मेरे घर का, अंडे जैसा था आकार। चिड़िया चिड़िया तब मैं यही समझती थी बस इतना सा ही है संसार। फिर मेरा घर बना घोंसला, सूखे तिनकों से तैयार। तब मैं यही समझती थी बस, इतना सा ही है संसार। फिर मैं निकल गई शाखों पर , हरी भरी…
चाँद का कुर्ता Chand Ka Kurta Poem
चाँद का कुर्ता Chand Ka Kurta Poem हठ कर बैठा चाँद एक दिन, माता से यह बोला, सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला। सन-सन चलती हवा रात भर जाड़े से मरता हूँ, चाँद चाँद ठिठुर-ठिठुर कर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूँ। आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का, न…
जीवन का भेद Jiwan Ka Bhed
वन में एक घनी झुरमुट थी, जिसके भीतर जाकर, खरहा एक रहा करता था, सबकी आँख बचाकर। फुदक-फुदक फुनगियाँ घास की,चुन-चुन कर खाता था देख किसी दुश्मन को, झट झाड़ी में छुप जाता था । एक रोज़ आया उस वन में, कुत्ता एक शिकारी, जीवन का भेद लगा सूँघने घूम-घूम कर, वन की झाड़ी-झाड़ी ।…
बसंती हवा Basanti Hawa
बसंती हवा Basanti Hawa हवा हूँ, हवा मैं बसंती हवा हूँ। हवा हवा सुनो बात मेरी – अनोखी हवा हूँ। बड़ी बावली हूँ, बड़ी मस्त्मौला। नहीं कुछ फिकर है, बड़ी ही निडर हूँ। जिधर चाहती हूँ, उधर घूमती हूँ, मुसाफिर अजब हूँ। न घर-बार मेरा, न उद्देश्य मेरा, न इच्छा किसी की, न आशा किसी…
ठीक समय पर
ठीक समय पर ठीक समय पर नित उठ जाओ , ठीक समय पर चलो नहाओ . ठीक समय पर खाना खाओ , ठीक समय पर पढ़ने जाओ .. ठीक समय पर मौज उड़ाओ , ठीक समय पर गाना गाओ . ठीक समय पर सब कर पाओ , तो तुम बहुत बड़े कहलाओ .. – सोहनलाल…
मेरा नया बचपन कविता
मेरा नया बचपन कविता बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी। गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी॥ चिंता-रहित खेलना-खाना वह फिरना निर्भय स्वच्छंद। कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनंद? बचपन बचपन ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था छुआछूत किसने जानी? बनी हुई थी वहाँ झोंपड़ी और चीथड़ों में…
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो ! वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो ! हाथ में ध्वजा रहे बाल दल सजा रहे ध्वज कभी झुके नहीं दल कभी रुके नहीं वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो ! वीर तुम बढ़े चलो सामने पहाड़ हो सिंह की…
यह कदंब का पेड़ / सुभद्राकुमारी चौहान
यह कदंब का पेड़ / सुभद्राकुमारी चौहान यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे। मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे।। ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली। कदंब का पेड़ किसी तरह नीची हो जाती यह कदंब की डाली।। तुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके-चुपके आता। उस नीची…
