चेतक की वीरता – श्यामनारायण पाण्डेय

रणबीच चौकड़ी भर-भर कर चेतक बन गया निराला था चेतक चेतक राणाप्रताप के घोड़े से पड़ गया हवा का पाला था जो तनिक हवा से बाग हिली लेकर सवार उड जाता था राणा की पुतली फिरी नहीं तब तक चेतक मुड जाता था गिरता न कभी चेतक तन पर राणाप्रताप का कोड़ा था वह दौड़…

उठो लाल अब आँखे खोलो

उठो लाल अब आँखे खोलो उठो लाल अब आँखें खोलो, पानी लायी हूँ मुंह धो लो। बीती रात कमल दल फूले, उसके ऊपर भँवरे झूले। चिड़िया चहक उठी पेड़ों पे, बहने लगी हवा अति सुंदर। नभ में प्यारी लाली छाई, धरती ने प्यारी छवि पाई। भोर हुई सूरज उग आया, जल में पड़ी सुनहरी छाया।…

किताबें कुछ कहना चाहती हैं

किताबें करती हैं बातें बीते जमानों की किताबें दुनिया की, इंसानों की आज की कल की एक-एक पल की। खुशियों की, गमों की फूलों की, बमों की जीत की, हार की प्यार की, मार की। सुनोगे नहीं क्या किताबों की बातें? किताबें, कुछ तो कहना चाहती हैं तुम्हारे पास रहना चाहती हैं। किताबों में चिड़िया…

है शौक यही अरमान यही

है शौक यही, अरमान यही हम कुछ करके दिखलाएँगे, मरने वाली दुनिया में हम अरमान अमरों में नाम लिखाएँगे। जो लोग गरीब भिखारी हैं जिन पर न किसी की छाया है, हम उनको गले लगाएँगे हम उनको सुखी बनाएँगे। जो लोग अँधेरे घर में हैं अपनी ही नहीं नजर में हैं, हम उनके कोने कोने…

एक कौवा प्यासा था

तेज धूप से कौवा प्यासा, एक कौवा प्यासा था पानी की थी कहीं न आशा। एक घड़े में थोड़ा पानी , देख हुई उसको हैरानी। कुछ सोचा फिर लाया कंकड़ लगा डालने एक एक कर। ज्यों ज्यों कंकड़ पड़ता जाता , त्यों त्यों पानी चढ़ता जाता। ऊपर तक पानी चढ़ आया , मेहनत का फल…

खिलौना आया है

दूर किसी जादू नगरी से एक खिलौना आया है . नंदन वन से नन्हा – नन्हा यह मृग छौना आया है , घर आंगन से हौले हौले ठुमक ठुमक कर चलता है . डगमग डगमग पैरों पर वह रह रह कर कभी मचलता है . वृन्दावन की कुञ्ज गली से श्याम सलोना आया है ….

गुलाब पर कविता

हे गुलाब फूलों के राजा , काँटों में मुस्कारते हो . गुलाब गुलाब लाल सफ़ेद गुलाबी पीले सारे जग को भाते हो .. डाली – डाली पर खिलकर तुम , सबका मन हर्षाते हो . वन – वन बाग़ – बाग़ में हँसकर सुन्दरता बिखराते हो .. तितली तुम्हें देख खुश होती . भौरे गीत…

महात्मा गांधी जी पर कविता

चल पड़े जिधर दो डग मग में चल पड़े कोटि पग उसी ओर ; गड़ गई जिधर भी एक दृष्टि महात्मा गांधी जी महात्मा गांधी जी गड़ गए कोटि दृग उसी ओर, जिसके शिर पर निज हाथ धरा उसके शिर- रक्षक कोटि हाथ जिस पर निज मस्तक झुका दिया झुक गए उसी पर कोटि माथ…

प्रभु को नमन

नतमस्तक हो हे प्रभु नमन करते हैं हम तुम्हे तूने सूरज चाँद देकर प्रभु को नमन नमन प्रकाशित किया जग सारा . रंग – बिरंगे फूलों से , पक्षियों की चहचाहट से बच्चों की किलकारियों से खुश कर दिया जीवन हमारा . अच्छे – सच्चे गुरु देकर ज्ञान बढ़ाया हमारा अच्छे प्यारे माता – पिता…

गांधी बन जाऊँगा

गांधी बन जाऊँगा माँ, खादी का चादर दे दे, मैं गाँधी बन जाऊँ, सब मित्रों के बीच बैठ फिर रघुपति राघव गाऊँ! निकर नहीं धोती पहनूँगा, खादी की चादर ओढूँगा, महात्मा गांधी घड़ी कमर में लटकाऊँगा, सैर सवेरे कर आऊँगा! छूत अछूत नहीं मानूंगा सबको अपना ही जानूंगा, एक मुझे तू लकड़ी ला दे टेक…